शनिवार, 5 दिसंबर 2015

डॉ. शेरजंग गर्ग



काफी नहीं तुम्हारा ईमानदार होना
भइया बड़ा जरुरी दुकानदार होना।

है वक्त का तकाजा रौ में शुमार होना
मक्खन किशोर होना, चमचा कुमार होना।

सौजन्य का कदाचित् तू मत शिकार होना  
सब चाहते हैं वरना, तुझ पर सवार होना।

चुल्लू में डूबने का अब लद चुका जमाना
उल्लू से दोस्ती कर, क्या शर्मसार होना।

लंगड़ा गयी है भाषा, कितना अजब तमाशा
घटियातरीन जी के, ऊँचे विचार होना।
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